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गोपाष्टमी पूजा अर्चना व महत्व। नमामि गंगे न्यूज का विशेष सम्पादकीय।

गोपाष्टमी पूजा अर्चना 

आमंत्रण पत्र
व महत्व। 

नमामि  गंगे न्यूज का विशेष सम्पादकीय।

गोपाष्टमी पूजा अर्चना व महत्व। नमामि गंगे न्यूज का विशेष सम्पादकीय।
गोपाष्टमी पर इस वर्ष डिबाई नगर में पहली बार गौ पूजा का आयोजन पुरुषार्थ संस्था द्वारा 4 नवंबर को अनाज मंडी समिति में स्थित गौशाला में सुबह 7.30 पर आयोजित हो रहा है। आमंत्रण आपको मिल चुका होगा या मिलने वाला होगा नहीं तो मेरे इस लेख को ही आमंत्रण मानकर इस पावन पूजा में सम्मिलित होकर धर्म लाभ उठावें।
गोपाष्टमी पूजा अर्चना व महत्व। नमामि गंगे न्यूज का विशेष सम्पादकीय।

    मैं तो कहता हूं कि गाय का पूजन केवल धर्म लाभ नहीं है अपितु गाय हमें दूध दही मट्ठा और घी गोबर तथा मूत्र के रुप में महौषधियां प्रदान करती है यह बात आधुनिक शोधों से भी सामने आ चुकी है तभी तो अमेरिका जैसे विकसित देश ने गौ मूत्र पर 5-5 पेटेंट ले लिए हैं। और वहां गौ मूत्र से केंसर जैसे रोगो का इलाज हो रहा है हमारे देश में तो पुरातन काल से ही आयुर्वेद में गाय के पांचों गव्यों का प्रयोग होता आ रहा है। लेकिन आज दुर्भाग्यवश हम लोगों को गायों से घृणा हो रही है और हम लोग दुखी जीवन जीने को मजवूर हो रहे हैं। इस पावन पर्व पर अगर हम गाय माता के मानव मात्र पर किये गये उपकारों के लिए ही पूजा कर लें तो यही हमारे लिए पुण्य का कार्य होगा।
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खैर इस बात पर चर्चा कभी और करेंगे आज जानते हैं गोपाष्टमी के पावन पर्व के बारे में
    
गोपाष्टमी भारतीय राष्ट्रीय समाज का एक पावन पर्व है। जैसा कि इसके नाम से विदित होता है यह गोप और अष्टमी से संबंध रखता है तो वास्तव में ही यह गोप और अष्टमी से ही संबंधित है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाए जाने वाला वह त्योहार हे जब गोप अर्थात भगवान श्री कृष्ण ने गौ चारण शुरू किया था। अर्थात वह प्रथम दिन जब भगवान श्री कृष्ण गायों को चराने के लिए जंगल में गए थे। इस वर्ष यह पर्व 4 नवंबर को पड़ रहा है और इसी दिन भगवान श्री कृष्ण के अनुयायी गोपाष्टमी का पर्व मनाएंगे। यह वह दिन है जब गाय और गोविंद की पूजा अर्चना की जाती है। हमारे समाज में गाय को समृद्धि का साधन और पूरक माना गया है।
गोपाष्टमी पूजा अर्चना व महत्व। नमामि गंगे न्यूज का विशेष सम्पादकीय।
इस दिन गाय और गोविंद की पूजा करने से धन और सुख समृद्धि की वृद्धि होती है। कहा जाता है कि यशोदा मैया भगवान श्री कृष्ण को गाय चराने के लिए नहीं भेजना चाहती थी लेकिन एक दिन भगवान श्रीकृष्ण ने जिद करके गौ चारण  के लिए जाने के लिए कहा। यशोदा मैया ने महर्षि शांडिल्य से  कहकर मुहूर्त निकलवाया और पूजन करा कर गौ चारण के लिए भेजा। तभी से यह पर्व हर वर्ष गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। गाय में 33 कोटि देवताओं का निवास है यह सभी देव केवल गाय के पूजन से प्रसन्न हो जाते हैं।
 गोपाष्टमी मनाने की विधि- सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में गाय और उसके बछड़े को नहला धुलाकर तैयार किया जाता है इसके बाद उनका श्रंगार किया जाता है। उनके पैरों में घुंघरू बांध कर और अन्य आभूषण पहना कर अच्छी तरह सजाया जाता है गौ माता के सींगो पर चुनरी का पट्टा बांध कर सजाया जाता है। इसके बाद गाय माता की परिक्रमा की जाती है परिक्रमा करके समस्त परिवार कुछ दूर तक गायों के साथ चलता है उसके बाद गोचरण कराने वाला व्यक्ति गायों को लेकर उन्हें चारण कराने चला जाता है। इस दिन ग्वाले को दान करना चाहिए। शाम को गायों के जंगल से बापस आने पर पुनः पूजा परिक्रमा की जाती है उन्हें हरा चारा,हरी मटर व गुड़ खिलाया जाता है। जिनके घरों में गाय नहीं पाली जाती वे गौशाला में यह पूजा अर्चना कर सकते हैं।


इस दिन गौ माता के नीचे से गुजरना भी पुण्य का कार्य माना जाता है।
      ‌‌‌‌‌‌            ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय
                न्यू शिव कालोनी, डिबाई
             सम्पादक- नमामि गंगे न्यूज़



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