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क्या यह नागरिकता संशोधन बिल का विरोध है या है आतंकवाद, अब सरकार को इस विरोध को बड़ने न देकर इसका करना चाहिये इलाज।

नमामि गंगे न्यूज। ब्यूरो रिपोर्ट।
क्या यह नागरिकता संशोधन बिल का विरोध है या है आतंकवाद, अब सरकार को इस विरोध को बड़ने न देकर इसका करना चाहिये इलाज।

सदन के दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन विल के पास होने के बाद भारत में जिस प्रकार की अराजकता का माहौल कांग्रेस ओर उसकी सहायक तथा अन्य विपक्षी दलों ने बनाया हुआ है उसे देखते हुये लगता है
क्या यह नागरिकता संशोधन बिल का विरोध है या है आतंकवाद, अब सरकार को इस विरोध को बड़ने न देकर इसका करना चाहिये इलाज।
AMU में हिन्दुत्व की कब्र बनाने वाले क्या हैं।
कि ये सभी पार्टियाँ भारत की जनता के प्रतिनिधित्व का सम्मान करती हीं नही इन्हैं किसी भी रुप में केवल और केवल सत्ता चाहिये ये सत्ता के लिए कितने भी घिनौने काम कर सकते हैं। जिस तरह से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आन्दोलन का रुख बदल कर हिन्दू विरोध की और अग्रसर किया गया है उसे भारतीय लोकतंत्र का स्वस्थ स्वरुप तो नही कहा जा सकता है।

क्या यह नागरिकता संशोधन बिल का विरोध है या है आतंकवाद, अब सरकार को इस विरोध को बड़ने न देकर इसका करना चाहिये इलाज।
जिस प्रकार से हिन्दुत्व मुर्दाबाद और हिन्दुत्व को कब्र में दफनाने की बाते लोकतंत्र के अलम्बरदारों के सामने हुयी और उन अलम्बरदारों के सामने जो अपने आपमें बड़े धुरन्दर देशप्रेमी और राजनीतिज्ञ बनते है जिन्हौने बिना मतलब के मुद्दों पर कभी दिल्ली में आसमान सिर पर उठा दिया था क्या उन लोगों पर इस अपराधिक घटना में शह देने के लिए मुकदमा नही चलाया जाना चाहिये। वे उस समय विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद थे और तो और
क्या यह नागरिकता संशोधन बिल का विरोध है या है आतंकवाद, अब सरकार को इस विरोध को बड़ने न देकर इसका करना चाहिये इलाज।
उन्हीं दोनों को साथ पाकर ही हिन्दुत्व की कब्र खोदने की बात वहाँ की गई थी और अगर उनकी इस मामले में सहमति नही थी तो क्यों उन्हौने बाय काट किया। क्यों वे वहाँ डटे रहे और अपने किन उद्देश्यों की पूर्ति वहाँ करने को डटे रहे। इसका जबाब उनसे लिया जाना चाहिये।जो ये सवाल उठा रहे हैं कि #NRC क्यों जरुरी है, तो उन्हें #WestBengal की हालत पर नजर डालना चाहिए! यहाँ हिंसा और आगजनी की घटनाओं में वही घुसपैठिए संलग्न हैं, जिन्हें #MamataBanerjee ने वोट बैंक की खातिर राज्य में बसा रखा है! इन्हें खदेड़ने के लिए ही ऐसा कानून जरुरी है! ---

ये कश्मीर के पत्थरबाज नहीं हैं बल्कि जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र दिल्ली पुलिस पर हमला कर रहे हैं।

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जो कहते थे कि समाज का एक वर्ग डरा हुआ है देखे उस डरे हुए वर्ग के लोगों को

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