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विघ्नहर्ता गणेश जी की उत्पत्ति कथा

एक बार ऋषि-मुनियों व देवताओं ने विचार किया कि बहुत से अवसरों पर सत मार्ग पर चलने वाले लोगों के कार्य में विघ्न पैदा हो जाते हैं जबकि गलत काम करने वाले लोग निर्विध्न अपने काम पूरे कर लेते हैं इस बारे में चिंता करते हुए सभी लोग भगवान शिव रूद्र की शरण में गए और उनकी स्तुति करने के बाद अपनी चिंता से उन्हें अवगत कराया और विनती की कि जो गलत कार्य करते हैं उनके मार्ग में बाधाएं आऐं और सन्मार्ग पर चलने वाले की सभी बाधाएं दूर हो जाए ऐसा कुछ कीजिए देवताओं की प्रार्थना को सुनने के बाद भगवान कैलाशपति रूद्र देवी उमा की ओर अपनी निर्निमेश दृष्टि से देखा उसी समय भगवान रुद्र के आकाश रूपी मुख से एक परम तेजस्वी सुंदर कुमार वह प्रकट हो गया उसमें परमेष्ठी अर्थात ब्रह्मा के सभी गुण विद्यमान थे देखने में एक रूद्र जैसा ही प्रकट होता था। उसके रूप को देखकर पार्वती जी को क्रोध आ गया और उन्होंने उस कुमार को श्राप देते हुए कहा कि हे कुुुमार तू गजवक्त्र अर्थात हाथी के सिर वाला प्रलम्ब जठर अर्थात लंबे पेट वाला और सर्पेरूपवीत अर्थात सर्पों को जनेऊ के रूप मे धारण करने वाला हो जाए इस पर उसने क्रोधित तक सर्पों के जन्म वाला हो जाए इस पर शिव ने क्रोधित होकर अपने शरीर को धुनना शुरू किया तो उनके रोमों से हाथी के सिर वाले नीलेश भ्रंजन के से रंग वाले अनेक शास्त्रों को धारण किये हुए इतने विनायक उत्पन्न हुए कि पृथ्वी क्षुब्ध हो उठी और देवता गण चिंता ग्रस्त हो गए तब ब्रह्माजी ने आकाश में प्रकट होकर देवताओं से धैर्य धारण करने के लिए कहा और त्रिनयन भगवान शिव से कहा हे प्रभु हे त्रिशूलधर आपके द्वारा प्रकट किए सभी विनायक उस विनायक के वश में रहे जो आप के मुख से प्रकट हुआ है। आप प्रसन्न हों और इन सभी को ऐसा ही वर दें। तब महादेव जी ने प्रसन्न होकर अपने मुख से प्रकट होने वाले पुत्र से कहा हे पुत्र अब तुम्हारे गजास्व, गणेश और विनायक नाम होंगे और यह सभी क्रूूर दृष्टि वाले प्रचंड विनायक तुम्हारे वश में होकर तुम्हारी आज्ञा अनुसार काम करेंगे क्योंकि यह सभी गण हैं और तुम उनके स्वामी हो अतः तुम्हारा नाम गणेश होगा। यज्ञ आदि में सबसे पहले तुम्हारी ही पूजा होगी, नहीं तो कार्य में विघ्न उपस्थित हो जाएगा इसके बाद उन्होंने भगवान गणेश की स्तुति की और भगवान शंकर ने उनका अभिषेक किया। भगवान गणेश का जन्म जिस तिथि को हुआ वह चतुर्थी थी अतः भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी गणेश चतुर्थी कहलाती है।

अब बात आती है गणेश चतुर्थी की पूजा पाठ की तो इसके लिए यह वीडियो देखें।

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