पद्मावती देवी मंदिर तिरुचूर- माता महालक्ष्मी का प्रसिद्ध मंदिर जहां दुनिया भर के लोग आते है मनौती मांगने।
माता महालक्ष्मी का प्रसिद्ध मंदिर जहां दुनिया भर के लोग आते है मनौती मांगने।
माता लक्ष्मी की पूजा से व्यक्ति के जीवन में आने वाली परेशानियां दूर हो जाती है
हमारे देश भारत वर्ष में महालक्ष्मी जी के अनेकों मंदिर मौजूद है जहां भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर जाते हैं, और मां से मन्नते मांगते है मन की मुरादे अवश्य ही पूरी करती है।
एसे ही मंदिरों के बारे में आज मैं ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय आपको जानकारी देने जा रहा हूं।
पद्मावती मंदिर तिरुचूर--
पद्मावती देवी का मंदिर भी बिल्कुल भगवान वेंकटेश्वर मंदिर और दक्षिण के अन्य मंदिरों की ही तरह द्रविड शैली में बना हुआ मंदिर है।
इस मंदिर में चांदी की पद्मावती देवी की विशाल प्रतिमा में देवी पद्मासन में बैठी हैं। उनके दो हाथों में कमल अर्थात पद्म का पुष्प है। और इन्हीं कमल पुष्पों के कारण मां महालक्ष्मी पद्मावती कहलाती है। इन दोनों पुष्पों में से एक पुष्प अभय का प्रतीक है तो दूसरा पुष्प वरदान का प्रतीक है। इस मंदिर में देवी का श्रृंगार सोने के आभूषणों से किया गया है।
यहां लोक मान्यता यह है कि देवी पद्मावती के बारे में कहा जाता है कि 12 साल तक पाताल लोक में वास करने के बाद 13 वें साल में देवी मां कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को धरती पर अवतरित हुई।
रतलाम के महाराजा पद्मसिंह यहां दर्शन करने आऐ तो उनको मां लक्ष्मी का यह स्वरूप बहुत ही अच्छा लगा।तब यहां से देवी मां के दर्शन करने के बाद उन्होंने रतलाम के राजमहल में माता पद्मावती के इस मंदिर का निर्माण करवाया।
तिरुपति व तिरुचूर जाने का रास्ता व साधन--
तिरुपति और तिरुचूर गांव वैसे तो सड़क और रेलमार्ग द्वारा देश के सभी शहरों से जुड़े हैं। देख के सभी बड़े शहरों से तिरुपति रेल मार्ग द्वारा जुड़ा है अगर कहीं से नहीं है चेन्नई होकर तिरुपति जा सकते हैं तिरुपति चेन्नई से डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी पर है तिरुपति जाने के लिए चेन्नई में बहुत सी बस सेवाएं उपलब्ध है तिरुपति पहुंचने के बाद रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी करीब 5 किलोमीटर पड़ती है जिसे उपलब्ध बस क्यों ओटो से पूरा कर सकते हैं ।
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