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हनुमान जी की अलग-अलग मूर्तियां भक्तों की विभिन्न कामनाएं पूर्ण करती हैं धारावाहिक लेख -2

हनुमान जी की अलग-अलग मूर्तियां भक्तों की विभिन्न कामनाएं पूर्ण करती हैं इस शीर्षक का पहला एपिसोड तो आप पहले मंगलवार को पढ़ चुके होंगे अगर नहीं पढ़ा है तो यहां क्लिक करें
हनुमान जी की अलग-अलग मूर्तियां भक्तों की विभिन्न कामनाएं पूर्ण करती हैं धारावाहिक लेख -2
करोलबाग दिल्ली स्थित हनुमान जी की विशालकाय प्रतिमा 108 फीट ऊंचाई
उसमें हनुमान जी के प्रताप के महिमा और उनकी पूर्व मुखी मूर्ति के बारे में बताया था। आज हनुमान बजरंगबली की पश्चिमाभिमुख मूर्ति के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे
            हनुमान जी के बारे में जैसा कि आप पहले ही जान चुके हैं कि वे कलयुग के एकमात्र जाग्रत देवता हैं।जो या तो अपने आराध्य देव श्री राम जी की सेवा में रत रहते हैं या फिर अपने भक्तो के दुख काटने में व्यस्त रहते हैं। और कोई भी दुःख कष्ट या संकट ऐसा नही जो उनकी कृपा से दूर नहो। इसीलिए तो उनका एक नाम दुःखभंजन भी है।
उनके बारे मे ओर ज्यादा जानने से पहले एक बार उनकी व उनके आराध्य की आराधना कर लें।
करोलबाग दिल्ली की प्रतिमा के निचले भाग स्थित सुरसा राक्षसी का मुख जिससे गुजरने के बाद होते हैं पश्चिम मुखी हनुमान जी के दर्शन
ॐ श्री रामाय् नमः, स्वस्ति श्री गणेशाय् नमः।
श्री सरस्वत्यै नमः श्री गुरुभ्यो नमः।।

लोकाभिरामं रणरगंधीरं राजीव नैत्रं रघुवंशनाथम्।।
करूण्यरूपं करूणाकरं तं श्री राम चन्द्रं शरणं प्रपधै।।

मनोजवं मारूततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मनं वानरयूथ मुख्यं श्री राम दूतं शरणं प्रपधे।।

पश्चिमाभिमुख हनुमान---- या पश्चिम मुखी हनुमान मूर्ति---

हनुमान जी की जिस मूर्ति का मुख पश्चिम दिशा की ओर हो पश्चिम मुखी हनुमान कहलाती है और यह हनुमान गरुड़जी के नाम से भी प्रसिद्ध है। हनुमान जी का यह रूप संकटमोचक रूप है हनुमान जी का यह रूप श्री विष्णु वाहन गरुड़जी की तरह अजर अमर माना गया है।
अतः आपको पता लग गया है कि हनुमान जी का यह रूप गरुड़ जी का रूप है यह वही गरुड़ जी हैं जो अपने प्रभु श्री विष्णु के वाहन हैं और जिन्होंने अपने प्रभु के मर्यादा पुरुषोत्तम स्वरूप के जीवन की उनके भ्राता लक्ष्मण समेत मेघनाथ के वाणों से घायल हो जाने पर प्राण रक्षा की थी। इतिहास मे वह वाण नागफांस के नाम से प्रसिद्ध है।
                     हनुमानाष्टक में आता है
"रावण युद्ध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो। श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।।
आनि खगेश तबै हनुमान जु ,बंधन काटि सूत्रास निवारो। 
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।"

 आज हम बात कर रहे हैं हरियाणा राज्य मे स्थानेश्वर नाम स्थान पर स्थित पश्चिम मुखी हनुमान मंदिर के बारे मे----

हरियाणा के स्थानेेेेेश्वर मे स्थित पश्चिम मुखी हनुमान मूर्ति
 कुरुक्षेत्र जिले के थानेश्वर नामक स्थान में हनुमान जी के पश्चिम अभिमुख स्वरूप का एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसमें हनुमान जी को सिंदूर का चोला में लड्डुओं का भोग लगाया जाता है कहा जाता है कि यहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है और लोग मुराद पूरी होने के बाद या सिंदूर का चोला चढ़ाते हैं यह मंदिर स्थानेश्वर महादेव मंदिर के समीप स्थित है यह एक सिद्ध हनुमान मंदिर है यह लगभग 700 वर्ष पुराना रानी अहिल्याबाई ने बनाया हुआ मंदिर है इस मंदिर में प्राचीन बावड़ी पार्वती स्थित है ऐसी मान्यता है कि इस मूर्ति पर जो भी चलाता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और मंदिरों की भाँँति मंगलवार और शनिवार में यहाँ चोला चढ़ाया जाता है। मंदिर में पिछले 51 वर्षों से अखंड सुंदरकांड जारी है जिसे महंत ओमप्रकाश चलाते हैं वे बताते हैं कि इस मंदिर में की गई प्रार्थना से हनुमान जी बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं ऐसा कोई भक्त नहीं है जिसकी मनोकामना यहाँ पूर्ण
न हुई हो। मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त यहां भंडारा कराते हैं।            एपीसोड-1    को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करे                     
                                     प्रस्तुति- ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय
                          सम्पादक नमामि गंगे न्यूज पोर्टल व चैैैनल
                                            आगे अगले एपिसोड मे ---
                                                          क्रमशः--

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