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इस साल पड़ती कड़ाके की ठंड, टूटा 118 साल का रिकार्ड, कारण क्या और कब मिलेगी निजात इस कड़ाके की ठंड से।

इस साल पड़ती कड़ाके की ठंड, टूटा 118 साल का रिकार्ड, कारण क्या और कब मिलेगी निजात इस कड़ाके की ठंड से।

इस साल पड़ती कड़ाके की ठंड, टूटा 118 साल का रिकार्ड, कारण क्या और कब मिलेगी निजात इस कड़ाके की ठंड से।नमामि गंगे न्यूज।डिबाई न्यूज।

नमामि गंगे न्यूज। ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय की रिपोर्टः
इस साल पड़ती कड़ाके की ठंड, टूटा 118 साल का रिकार्ड, कारण क्या और कब मिलेगी निजात इस कड़ाके की ठंड से।नमामि गंगे न्यूज।डिबाई न्यूज।जबरदस्त ठंड (Severe Cold) पड़ रही है।पुरानी सालों के रिकार्ड ध्वस्त हो रहे हैं।दिल्ली (Delhi) में तो 118 साल का रिकॉर्ड इस साल की सर्दी ने तोड़ डाला है। आज शनिवार की सुबह दिल्ली के लोधी रोड पर तापमान 1.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और जबरदस्त सर्दी ने लोगों को घरों में घुसे रहने को मजबूर कर दिया है। वहीं काम-काजी लोगों का हाल बुरा हो गया है उत्तर प्रदेश में ठंड की वजह से मौत के कई मामले सामने आए हैं। डिबाई में इस समय का तापमान जबकि उतरते दिन का समय है लैकिन केवल और केवल तापमान है 12 डिग्री सेल्सियस और  इसके साथ ही अगले शनिवार को तापमान दोपहर के समय होगा 16  डिग्री जैसा कि अनुमान है। जवकि आज सुवह 5 बजे तापमान 5डिग्री सेल्सियस था। अतः कहा जा सकता है कि कड़ाके की ठंड इस समय डिबाई में पड़ रही है।
इस साल पड़ती कड़ाके की ठंड, टूटा 118 साल का रिकार्ड, कारण क्या और कब मिलेगी निजात इस कड़ाके की ठंड से।नमामि गंगे न्यूज।डिबाई न्यूज।

पड़ती कड़ाके की ठंड, टूटा 118 साल का रिकार्ड, कारण क्या और कब मिलेगी निजात इस कड़ाके की ठंड से।नमामि गंगे न्यूज।डिबाई न्यूज।


इस साल इतनी जबरदस्त सर्दी टूटा पिछले 118 साल का रिकार्ड
सामान्यतः देखने में आता है कि हर साल दिसंबर के आखिरी और जनवरी के पहले हफ्ते में ज्यादा ठंड पड़ती ही है और इस दौरान कई इलाकों के तापमान में 4 से 2 डिग्री सेल्सियस तक कमी  देखने में आती है और दिसंबर में 16 से 18 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान नहीं पहुंचता। उत्तर और उत्तरपूर्व भारत के लोगों के लिए ये कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस साल कुछ ज्यादा ही ठंड पड़ रही है।जनजीवन को अस्तव्यस्त करने वाली इस ठंड के कारण लोग मुहाल हैं। इस बार जहाँ अधिकतम तापमान 16-18 डिग्री रहता था वहाँ का तापमान 10 से ऊपर नही जा रहा है। एसा इस बार ही हो रहा है मौसम विभाग की माने तो एसा पिछले 118 साल मे पहली बार देखने में आ रहा है। मौसम विभाग के अनुसार 1901 के बाद का यह पहला दिसम्बर है जवकि दिल्ली का तापमान इतना नीचे गया है। लगातार 14 दिनों से दिल्ली में जबरदस्त ठंड पड़ रही है।और यह 1997 के बाद पहली बार है।पहले 1997 में 13 दिनों तक लगातार कड़ाके की ठंड पड़ी थी।अभी जिस तरह के सर्दी दिल्ली में पड़ रही है, ऐसा लग रहा है कि मौसम कुछ और रिकॉर्ड तोड़ने वाला है।
ठंड की त्रीवता कैसे होती है तय 
मौसम विभाग ने ठंड , ज्यादा ठंड और रिकार्ड तौड़ ठंड तय करने के लिए कुछ पैमाना तय किया होता है। किसी स्थान विशेष पर अगर दिन के तापमान में 4.5 डिग्री सेल्सियस की कमी पायी जाये तो सामान्य ठंड अगर यह कमी 6.5 डिग्री सेल्सियस की मापी जाए तो ज्यादा ठंड तथा दिन का तापमान केवल 7 से 12 तक रहे तो यह भीषण ठंड का पैमाना माना जाता है। इसे ही कड़ाके की ठंड में गिना जाता है।  
क्या यह कड़ाके की ठंड असामान्य कही जाए
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जिस तरह की सर्दी पड़ रही है, वह असामान्य नहीं है। सामान्यतः उत्तर और उत्तरपूर्वी भारत में पश्चिमी भारत और वेस्टर्न डिस्टरबेंस की वजह से सर्द हवा आती है।और इन इलाकों में ठंड खासकर इस बात पर भी निर्भर करती है कि जम्मू कश्मीर, लद्धाख और हिमाचल प्रदेश जो उत्तर भारतत के सटे इलाके है में मौसम कैसा है अगर इन इलाकों में बर्फबारी ज्यादा हुई है तो उत्तर भारत निश्चित ही ठंडा होगा ही ये सारी स्थितियां हर साल बदलती रहती हैं, इसी के हिसाब से सर्दी कम या ज्यादा भी होती रहती है.
कड़ाके की ठंड की असल वजह क्या है
 इस वर्ष सर्दी ज्यादा पड़ने की असल वजह है क्लाईमेट चेंज, क्लाईमेट चेंज के कारण इस साल दुनियाभर में ज्यादा सर्दी भी पड़ रही है और ज्यादा गर्मी भी।पिछले कुछ वर्षों से लगातार यह देखने में आ रहा है कि गर्मी भी ज्यादा पड़ रही है उसी प्रकार ठंड भी।और मौसम विज्ञानी लगातार चेता रहे हैं कि यह आने वाले वक्त में और बढ़ेगा। इसी तरह से बाढ़ और सुखा की स्थितियां भी बढ़ने वाली हैं। पूरी दुनिया में इस समय जलवायु परिवर्तन की वजह से बेकाबू परिस्थितियां तैयार होती दिख रही हैं।
इस साल अगस्त और सितंबर महीने में भारत में मौसम के विपरीत बारिश हुई थी। सितंबर की बारिश से मौसम वैज्ञानिक भी हैरान रह गये। वैज्ञानिक कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन की वजह से अब मौसम के मिजाज को भांपना मुश्किल होता जा रहा है।
कब कम होगी कड़ाके की ठंड
इस बार उत्तर और उत्तरपूर्व भारत में पड़ रही कड़ाके की ठंड का कारण वेस्टर्न डिस्टरबेंस का लगातार पैदा होना भी है। यह इस साल मध्यम से लेकर त्रीव गति तक रहा है. उत्तरपश्चिम की तरफ बहने वाली हवा का स्तर भी नीचा रहा है और इसकी वजह से भी ठंड बढ़ी है। नवम्बर मे दीपावली के तुरन्त बाद से पूरे माह वातावरण में एक प्रकार की धुंध छायी रही व दिसंबर में धुंध, कोहरा और बारिश व ओलों की वजह से भी ठंड बढ़ी है।
इस बार पाकिस्तान और भारत के बड़े भूभाग में निचले स्तर पर घने बादल बने हुये है जिन्हौने सूर्य की किरणों को ढंक रखा है। और यह स्थिति लगातार बनी हयी है इसकी वजह से भी तापमान में गिरावट दर्ज हुई है। यह स्थिति अभी कुछ और दिन तक बने रहने वाली है। कड़ाके की ठंड से तुरंत निजात नहीं मिलने वाली है।

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