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जिसने जख्म दिए हैं, वही जख्म के बारे में पूछ रहे हैं.' --- अमित शाह।

जिसने जख्म दिए हैं, वही जख्म के बारे में पूछ रहे हैं.' --- अमित शाह।

जिसने जख्म दिए हैं, वही जख्म के बारे में पूछ रहे हैं.' --- अमित शाह।

राज्य सभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान इस विधेयक को लाने की आवश्यकता पर उठाये गये सबालों को जवाव देते हुये ग्रहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जिसने जख्म दिए हैं, वही जख्म के बारे में पूछ रहे हैं.' यह बात उन्हौैने काग्रेंसी सांसदों के प्रश्नों के उत्तर देत हुये कही। उन्हौने आगे कहा कि अगर पिछले 70 सालों में अगर हमारे देश के बटवारे के जख्मों का सही इलाज कर लिया गया होता तो इस बिल को लाने की जरुरत कदापि नही पड़ती. यह बिल कभी भी संसद में न आता,
यदि भारत का बटबारा न हुआ होता, बटबारे के बाद जो परिस्थितियाँ आईं उनके समाधान के लिए मैं यह बिल लेकर आया हूँ। अगर समाधान लाए गये होते तो देश का बटबारा न हुआ होता और धर्म के आधार पर न हुआ होता तो यह बिल लाने की जरुरत ही नही पड़ती लैकिन काग्रेंस ने हमेशा ही देश की समस्याओं की अनदेखी की, समझौते तो किये गये किन्तु उन पर कभी भी काम नही किया गया।
देश की समस्याओं के छोटे छोटे जख्मों को नासूर बना दिया गया। और अब प्रश्न कर रहे हैं कि इस कानून को लाने की क्या जरुरत थी। उन्हौने तथ्यों को सदन के पटल पर रखते हुये बताया कि
नेहरु लियाकत समझौते के तहत जब दोनों पक्षों की सहमति थी कि अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों की तरह ही समानता दी जाएगी। उनके व्यवसाय, अभिव्यक्ति, और पूजा करने की आजादी भी सुनिश्चित की जाएंगी। यह वादा अल्पसंख्यकों के साथ किया गया लेकिन वहाँ चुनाव लड़ने से भी रोका गयाऔर उनकी संख्या लगातार कम होती रही और यहाँ राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति चीफ जस्टिस जैसे पदों पर भी अल्पसंख्यक सुशोभित रहे। 
यहाँ अल्पसंख्यकों का संरक्षण हुआ वहाँ अल्पसंख्यकों का क्षरण हुआ।समझौता दोनों देशों के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उन्हैं देश की धारा में साथ लेकर चलने के लिए हुआ था। भारत ने तो अल्पसंख्यकों को मान सम्मान पद प्रतिष्ठा दी किन्तु वहीं भारत के पड़ोसी किसी भी देश ने एसा नही किया। पाकिस्तान ने समझौते का पालन तो किया ही नही उसने पाकिस्तान के अन्दर अल्पसंख्यकों की स्थिति बद से बदतर कर दी। पाकिस्तान में बहुसंख्यक समुदाय ने महिलाओं लड़कियों के साथ बलात्कार की सीमाऐं लांघ दी पुरुषों को गुलाम बनाया। और मजबूर किया कि वे इस्लाम को अपनाऐं। अपनी बिना इच्छा के अनेकों लोगों को मुसलमान बनने पर मजबूर किया गया फिर भी उनकी स्थिति दयनीय रही। पिछली सरकारों ने समझौते को एकतरफा तो माना ही साथ ही जब वे लोग भारत में किसी प्रकार से आ गये तो यहाँ की सरकार ने उन्हैं शरणार्थी का दर्जा भी न दिया। वे कभी भी अपने आप को शरणार्थी भी न कह पाये। क्योंकि एसा कहने पर उन्हैं गिरफ्तारी का डर था। अतः वह छुपे रुप में भारत में रहे। पिछले 70 सालों में उनके बच्चे जो भारत में ही पैदा हुये वे भी अभी तक किसी प्रकार से नागरिकता से बंचित है। यह बिल उन लोगों में आशा का संचार करेगा, उनके सपनों को साकार करेगा। अब वे अपने आपको भारतीय कह पाऐंगे और शान से जी पाऐंगेे।

उन्होंने कहा कि छह धर्म के लोगों को बिल में लाया गया है, लेकिन मुसलमानों को शामिल नहीं करने पर सवाल पूछे जा रहे हैं। गृह मंत्री ने कहा कि वो बताना चाहेंगे कि मुसलमानों को इसमें शामिल क्यों नहीं किया गया.

ये बिल हम तीन देशों के अंदर जो धार्मिक प्रताड़ना हुई है, उन्हें नागरिकता देने के लिए लेकर आए हैं.

जब मैं माइनॉरिटी शब्द का इस्तेमाल करता हूँ तो विपक्ष में बैठे लोग बताएंगे कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में इस्लाम को मानने वाले अल्पसंख्यक हैं क्या? देश का धर्म इस्लाम हो तो मुस्लिमों पर अत्याचार की संभावना कम है।

उन्हौने कहा कि मुसलमानों के आने से ही क्या धर्मनिरपेक्षता साबित होगी.

शाह ने कहा, "हम अपने विवेक से क़ानून ला रहे हैं और मुझे यकीन है कि अदालत में भी ये सही साबित होगा."

गृह मंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यकों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, किसी की भी नागरिकता छीनी नहीं जाएगी और धार्मिक रूप से प्रताड़ित लोगों को नागरिकता दी जाएगी.

इससे पहले, वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक के ज़रिये संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि गृह मंत्री अमित शाह ने इतिहास कहाँ से पढ़ा है, 'टू नेशन थ्योरी' कांग्रेस की नहीं थी। इसका जबाब देते हुये ग्रहमंत्री ने कहा कि भारत में तत्कालीन समय में किसकी चलती थी और कौन सरकार बना रहा था और किसने इस थ्यौरी पर देश का विभाजन किया हम ही नही भारत का हर नागरिक जानता है कि जिन्ना ने धर्म के नाम पर देश के टुकड़े करने की बात कही और कांग्रेस ने उसे स्वीकार किया। अतः इस मामले कोई और दोषी कैसे हो सकता है।

सिब्बल ने आरोप लगाया कि 2014 से बीजेपी एक ख़ास मकसद को लेकर काम कर रही है. कभी लव जिहाद, कभी एनआरसी और कभी नागरिकता संशोधन.

कपिल सिब्बल ने कहा कि गृह मंत्री ने कहा कि मुसलमानों को डरने की ज़रूरत नहीं है।

कपिल सिब्बल के इस प्रश्न का जबाव देते हुये अमित शाह ने कहा बास्तव में ही मुसलमान को डरने की कोई आवश्यकता ही नही है। हाँ आप अवश्य उसे राजनैतिक फायदे के लिए डराते हैं। कि बीजेपी एसा कर देगी वैसा कर देगी किन्तु अब हमारी सरकार को चलते देखकर और हमारे कार्यों से मुसलमान की यह बात समझ में आ चुकी है और उसे किसी प्रकार का डर नही है। अब वो आपके बहकावे में आकर डरने वाला नही है।

और इस प्रकार से लोकसभा में पारित यह विधेयक राज्य सभा में भी 125 मत पाकर पारित हो गया। इसके विरोध में 105 मत पड़े ।

इससे पहले राज्यसभा ने बिल को सलेक्ट कमेटी को भेजने के विपक्ष के प्रस्ताव को 99 मत मिले जबकि सरकार के पक्ष में 124 मत पड़े और सलेक्ट कमेटी को भेजने का प्रस्ताव खारिज हो गया। बिल को संशोधित करने के सभी प्रस्ताब ध्वनिमत से खारिज हो गये। तृणमूल कांग्रेस के डैरेक ओ. ब्रायन के संशोधन प्रस्ताव का भी यही हश्र हुआ उनके प्रस्ताव पर मत विभाजन हुआ जिसमें प्रस्ताव के पक्ष में 98 जवकि विरोध में 124 मत पड़े। इस प्रकार से नागरिकता संशोधन विधेयक को दोनो सदनों की बहुमत से मंजूरी मिल गयी।

राज्य सभा ने नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कर दिया है. विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े, जबकि प्रस्ताव के विरोध में 105 सदस्यों ने मतदान किया.

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