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|Monkey God in America | हनुमान पुत्र मकरध्वज का किला। अमेरिका में मिला।

 |Monkey God in America| हनुमान पुत्र मकरध्वज का किला। अमेरिका में मिला।

अमेरिका में मिला हनुमान पुत्र मकरध्वज का किला।

अमेरिका में मंकी गॉड के किले की की खोज

हनुमान जी कलयुग के ऐसे देवता हैं जिनकी चर्चा गाहे-बगाहे होती ही रहती है आज हम उनके बारे में ऐसी ही चर्चा करने जा रहे हैं जो उनकी ऐतिहासिकता का परिचय कराएगी और उन लोगों का मुंह बंद करा देगी जो लोग रामायण और उसके पात्रों को काल्पनिक घोषित करते हैं।

रामायण के अनुसार सभी राम भक्तों का मानना है कि हनुमान जी पाताल लोक गए थे हनुमानाष्टक की पंक्तियां आप सभी ने पढ़ी होंगी अगर आपने नहीं पड़ी है तो पढ़ ले

|Monkey God in America||City of the monkey god|

हनुमान पाताल में गऐ थे  इस बात की मिली साक्षी।

बंधु समेत जवै अहिरावण ले रघुनाथ पाताल सिधारो।
देवहि पूजि भली बिधि सों बलि देउ सबै मिलि मंत्र विचारो।
जाय सहाय भये तब ही अहिरावण सैन्य समेत सहारो।
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो।।
बात करते हैं आगे तो आधुनिक समय में जो हम हिंदू अपने धर्म ग्रंथों को कपोल कल्पना कहते नहीं थकते वैज्ञानिक एक-एक करके उनकी सत्यता प्रमाणित करते जा रहे हैं लेकिन आज मैं वैज्ञानिकता कि नहीं अपितु इतिहास की बात आपको बताने जा रहा हूं।

उपरोक्त पंक्तियों के अनुसार राम रावण युद्ध में एक समय ऐसा आया जब रावण का भाई अहिरावण भगवान राम और लक्ष्मण को छल पूर्वक युद्ध में बंदी बनाकर पाताल ले गया तब संकटमोचक हनुमान जी पाताल गए थे और वहां से राम लक्ष्मण को सुरक्षित निकाल कर लाए थे तब उनका पाताल के शासक और रावण के भाई अहिरावण से युद्ध हुआ था कहा जाता है कि वहां उन्हें अपना स्वयं का पुत्र बिल्कुल उन्हीं के जैसा बानर पहरा देता हुआ मिला।
हनुमान जी को बातों से पता चला कि यह बानर लंका जलाने के बाद अपनी पूंछ में लगी आग बुझाते समय समुद्र में गिरे पसीने को एक मकरी के निगल जाने से गर्भवती हुई मकरी के गर्भ से उत्पन्न हुआ है इसका नाम मकरी के पेट से पैदा होने के कारण मकरध्वज रखा गया है और क्योंकि वह पाताल में पैदा हुआ है अतः वहां के शासक ने उसे अपनी सेवा में उसे रख लिया है।
 यह बात तो हुई हमारी रामायण की किन्तु इसे हमारे दृष्टि सम्राट हिंदू कपोल कल्पना बताते हैं। 
हनुमान पुत्र मकरध्वज का किला। अमेरिका में मिला।
होंडुरास के जंगलों में मिली हनुमान जी और उनके पुत्र की मूर्ति

|Monkey God in America||City of the monkey god|

लेकिन 1940 का दशक वह दौर था जब दुनिया के कई ऐतिहासिक खोजी द लॉस्ट सिटी आफ मंकी गोड की तलाश में जंगलों की खाक छान रहे थे और खाक क्यों छान रहे थे। उसका कारण था कि  यह अमेरिका का एक ऐसा प्राचीन शहर था जो जंगलों के भीतर बसा हुआ था और यहां के निवासी मंकी गोड की पूजा करते थे। लेकिन यह उनकी खोज का कारण नहीं था। अपितु कारण था 
 खोजियों ने सुना था कि इस शहर में कहीं बहुत मूल्यवान खजाना दबा पड़ा है वैसे भी उन्होंने सुन रखा था कि यहां के कलात्मक मंदिर और पिरामिड किसी खजाने से कम नहीं है।

|Monkey God in America||City of the monkey god|

हनुमान पाताल में गऐ थे  इस बात की मिली साक्षी।

हालांकि इस शहर को अटलांटिस की तरह कपोल कल्पना कहकर खारिज किया जाता रहा था।
 लेकिन 1940 में एक धनी व्यक्ति जॉर्ज बुशर ने इसमें इस रहस्यमई शहर को तलाशने के लिए एक खोजी थिओडोर मोर्डे को नियुक्त किया। माना जाता था कि यह शहर अमेरिका के होंडुरास देश में किसी जंगल में छिपा हुआ है यह बात वहां किवदंती में आती थी थिओडोर मोर्डे अपने एक साथी को लेकर होंडुरास के भयानक जंगलों में 4 महीनों के लिए खो गया। 4 महीने बाद  मोर्डे लौटा तो उसने घोषणा कर दी कि उसने द लॉस्ट सिटी ऑफ मंकी गॉड खोज निकाला है उन्होंने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उस शहर में कलात्मक मूर्तियां, सोने चांदी की बात बताई और सबसे इंटरेस्टिंग एक बैनर की बड़ी सी मूर्ति जो बिल्कुल भारतीय हनुमान जी की मूर्ति ही कही जा सकती है जिसका सीना चीरा हुआ था और उसमें राम सीता जैसी दो मूर्तियां छिपी हुई थी। देखी थी। किंतु दुर्भाग्यवश थोड़ा उस खजाने को लेने के लिए वापस होंडुरास नहीं जा सके उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल होने के बाद सन 1954 में आत्महत्या कर ली थी उनकी मौत एक रहस्यमयी मौत बन जाती है अभी तक रहस्य है।

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हनुमान पाताल में गऐ थे  इस बात की मिली साक्षी।

मोर्डे के अनुसार देश में 32000 वर्ग मील में फैले जंगलों में यह स्थान अभी तक लोगों की नजरों से छुपा हुआ था और मोर्डे चार-पांच महीनों तक अपने साथी लॉरेंस के साथ इन जंगलों में भटकते रहे भटकते भटकते उन्होंने देखा कि एक स्थान पर सफेद संगमरमर के पत्थर की दीवार बहुत दूर तक चली गई है दीवार के साथ-साथ जाने पर मालूम पड़ा कि यह दीवार तो किसी नगर का परकोटा थी और यह सारा का सारा परकोटा सफेद संगमरमर की दीवार से ही बना था अतः उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि यह एक बड़ा साम्राज्य होगा यहां की स्थानीय लोगों से बात करने पर उन्हें पता चला कि यहां पर एक प्रजाति रहती थी जो बंदर जैसे दिखने वाले मानव की पूजा करती थी वह न तो पूर्णत है मानव था और न हीं पूर्णता बानर।
 स्थानीय लोगों के अनुसार बंदर की विशाल मूर्ति आज भी यहां दबी हुई है।
मोर्डे की खोज The Lost City of monkey God: A true story.
पर Douglas perston की किताब भी प्रकाशित हुई है जिसका रिव्यू न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित किया गया था।
अभी मार्च सन 2015 में  सेटेलाइट की मदद से होंडुरास के जंगलों को देख रहे एक भूगर्भविद ने ऐसी संरचना देखी जो मानव निर्मित नजर आ रही थी और जब उसने ज्यादा नजदीक से जांचा तो उसे यहां कहीं मंदिर और पिरामिड जैसी संरचनाएं दिखाई दी।

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      शायद यह "lost city" खुद हजारों साल को के मौन को तोड़ना चाहती थी आखिरकार दोबारा से "The Lost City of monkey God" की खोज अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से शुरू हुई। 
नेशनल ज्योग्राफिक के साथ मिलकर पुरातत्वविदो की टीम हेलीकॉप्टर की मदद से इस बेहद खतरनाक जंगल में उतरी और हनुमान भक्तों की प्राचीन नगरी को देख आल्हादित हो उठी उस समय यह डिस्कवरी चैनल  टीवी पर भी दिखाया गया था।
जान ले कि इस नगर के प्राचीन निवासियों को क्या कहा जाता था तो इस सभ्यता को ऑल्मेक सभ्यता के नाम से जाना जाता है और यहां के लोगों को ऑल्मेक कहा जाता है इन्होंने ही रवड़ की खोज की थी। मिली मूर्तियों और पिरामिडों में रबड़ का प्रयोग होने की पुष्टि भी हुई है एक अनुमान के मुताबिक ऑल्मेक सभ्यता यहां 1000 से १४००ई. के बीच निवास करती थी।
वास्तव में मोर्डे यह पुरातत्व विदों की नेशनल ज्योग्राफिक टीम के साथ की गई खोजें नवीन है किंतु रामायण पुरातन काल से ही इस बात की सत्यता प्रमाणित करती रही है की हनुमान जी पाताल पहुंचे थे। और उनका पाताल के शासक अहिरावण से युद्ध हुआ था जिसके उपरांत उन्होंने अहिरावण को मार दिया था और अपने पुत्र मकरध्वज को वहां का शासक बना दिया था। होंडुरास के जंगलों में मिला यह नगर आधुनिकता के महा आराधकों के लिए एक महा प्रमाण साबित हो जाता है। क्योंकि वे अपने ग्रंथों पर तो भरोसा नहीं करते जो प्राचीनतम से प्राचीनतम है अपितु नई खोजों पर ही विश्वास करते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार वह देवता जिसकी यहां मूर्ति स्थापित है या तो यहां का शासक मकरध्वज हो सकता है या फिर उसके पिता हनुमान की मूर्ति।
जो लोग रिव्यू देखना चाहते हो वह यहां क्लिक करें यह न्यूयॉर्क टाइम्स का रिव्यू है
और जो लोग नेशनल ज्योग्राफिक चैनल पर जाना चाहते हैं यहां क्लिक करें।

हनुमान पाताल में गऐ थे  इस बात की मिली साक्षी।

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