भैरवनाथ: भय का हरण कर जगत का भरण पौषण करने वाले एक रहस्यमयी देवता हैं।
भैरवनाथ: भय का हरण कर जगत का भरण पौषण करने वाले एक रहस्यमयी देवता हैं।
भैरव नाथ भय का हरण करके आपके भरण पोषण का करते हैं इंतजाम |
Read it--भैरवाष्टमी व्रत - महात्मय व भैरव उत्पत्ति की कहानी
हिंदू धर्म के देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है।
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महाकाल का धाम ग्रहों की समस्या मुक्ति का वास्तविक समाधान
भैरव देव की उत्पत्ति का इतिहास : - पुराणों में उल्लेख है कि भगवान शिव के रूधिर से भैरव की उत्पत्ति हुई। बाद में यही रूधिर दो भागों में वितरित हो गया- पहला बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव। मुख्यत: दो भैरवों की पूजा का प्रचलन है, एक काल भैरव और दूसरे बटुक भैरव।Read It---भैरव आखिर क्यों कहलाते हैं बटुक भैरव
पुराणों में भगवान भैरव को असितांग, रुद्र, चंड, क्रोध, उन्मत्त, कपाली,
भीषण और संहार नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव के पांचवें अवतार भैरव को भैरवनाथ भी कहा जाता है। नाथ सम्प्रदाय में इनकी पूजा का विशेष महत्व है।
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उज्जैन के महाकाल - भारत का रहस्यमयी व चमत्कारिक मंदिर जहाँ पीते हैं महाकाल मदिरा।
लोकजीवन के देवता हैं भैरव : - लोक जीवन में भगवान भैरव को भैरू महाराज, भैरू बाबा, मामा भैरव, नाना भैरव आदि नामों से जाना जाता है।भारत के कई समाज के ये कुल देवता के रुप में विद्यमान हैं और इन्हें पूजने का प्रचलन भी अलग- अलग है, जो कि विधिवत न होकर स्थानीय परम्परा का हिस्सा है। यह भी उल्लेखनीय है कि भगवान भैरव किसी के शरीर में नहीं आते।पालिया महाराज : - सड़क के किनारे भैरू महाराज के नाम से ज्यादातर जो ओटले या स्थान बना रखे हैं दरअसल वे उन मृत आत्माओं के स्थान हैं जिनकी मृत्यु उक्त स्थान पर दुर्घटना या अन्य कारणों से हो गई है। ऐसे किसी स्थान का भगवान भैरव से कोई संबंध नहीं। उक्त स्थान पर मत्था टेकना मान्य नहीं है।भैरव देवता के मंदिर : - भैरव देव का प्रसिद्ध, प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर उज्जैन और काशी में है।
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भैरव तंत्र : - योग में जिसे समाधि पद कहा गया है, भैरव तंत्र में भैरव पद या भैरवी पद प्राप्त करने के लिए भगवान शिव ने देवी के समक्ष 112 विधियों का उल्लेख किया है जिनके माध्यम से उक्त अवस्था को प्राप्त हुआ जा सकता है।
भैरव आराधना से शनि शांत : - एकमात्र भैरव की आराधना से ही शनि का प्रकोप शांत होता है।
- काल भैरव का मंदिर उज्जैन में और बटुक भैरव का मंदिर लखनऊ में स्थित है।
- काशी विश्वनाथ मंदिर से भैरव मंदिर कोई डेढ़-दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- दूसरा नई दिल्ली के विनय मार्ग पर नेहरू पार्क में बटुक भैरव का पांडवकालीन मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध है।
- तीसरा उज्जैन के काल भैरव की प्रसिद्धि का कारण भी ऐतिहासिक और तांत्रिक है।
- नैनीताल के समीप घोड़ा खाड़ का बटुकभैरव मंदिर भी अत्यंत प्रसिद्ध है। यहां गोलू देवता के नाम से भैरव की प्रसिद्धि है।
- इसके अलावा शक्तिपीठों और उपपीठों के पास स्थित भैरव मंदिरों का महत्व माना गया है।
नरौरा -डिबाई गंगाघाट पर भी है भगवान भैरवनाथ
का विशाल मंदिर ।
काल भैरव की आराधना के लिए मंत्र है- ।। ॐ भैरवाय नम:।।
बटुक भैरव : - 'बटुकाख्यस्य देवस्य भैरवस्य महात्मन:। ब्रह्मा विष्णु, महेशाधैर्वन्दित दयानिधे।।'- अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, महेशादि देवों द्वारा वंदित बटुक नाम से प्रसिद्ध इन भैरव देव की उपासना कल्पवृक्ष के समान फलदायी है। बटुक भैरव भगवान का बाल रूप है। इन्हें आनंद भैरव भी कहते हैं। भगवान भैरवनाथ के उक्त सौम्य स्वरूप की आराधना शीघ्र फलदायी है। यह कार्य में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
उक्त आराधना के लिए मंत्र है- ।।ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाचतु य कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ।।
भैरव तंत्र : - योग में जिसे समाधि पद कहा गया है, भैरव तंत्र में भैरव पद या भैरवी पद प्राप्त करने के लिए भगवान शिव ने देवी के समक्ष 112 विधियों का उल्लेख किया है जिनके माध्यम से उक्त अवस्था को प्राप्त हुआ जा सकता है।
भैरव आराधना से शनि शांत : - एकमात्र भैरव की आराधना से ही शनि का प्रकोप शांत होता है।
- आराधना का दिन रविवार और मंगलवार नियुक्त है।
भैरवनाथ: भय का हरण कर जगत का भरण पौषण करने वाले एक रहस्यमयी देवता हैं।
पुराणों के अनुसार भाद्रपद माह को भैरव पूजा के लिए अति उत्तम माना गया है। उक्त माह के रविवार को बड़ा रविवार मानते हुए व्रत रखते हैं। आराधना से पूर्व जान लें कि
- कुत्ते को कभी दुत्कारे नहीं बल्कि उसे भरपेट भोजन कराएं।
- जुआ, सट्टा, शराब, ब्याजखोरी, अनैतिक कृत्य आदि आदतों से दूर रहें।
- दांत और आंत साफ रखें।
- पवित्र होकर ही सात्विक आराधना करें।
- अपवित्रता वर्जित है।
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भैरव चरित्र : -भगवान भैरव का चरित्र जैसा कि समाज में लोगों ने चित्रित कर रखा है वह वास्तव में बहुत गलत है भगवान भैरव के चरित्र का भयावह चित्रण कर तथा घिनौनी तांत्रिक क्रियाएं कर लोगों में उनके प्रति एक डर और उपेक्षा का भाव भरने वाले तांत्रिकों और अन्य पूजकों को भगवान भैरव माफ करें। दरअसल भैरव वैसे नहीं है जैसा कि उनका चित्रण किया गया है।
वे मांस और मदिरा से दूर रहने वाले शिव और दुर्गा के भक्त हैं। उनका चरित्र बहुत ही सौम्य, सात्विक और साहसिक है।
उनका कार्य है शिव की नगरी काशी की सुरक्षा करना और समाज के अपराधियों को पकड़कर दंड के लिए प्रस्तुत करना।जैसे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जिसके पास जासूसी कुत्ता होता है। उक्त अधिकारी का जो कार्य होता है वही भगवान भैरव का कार्य है।
और इसी कारण भगवान भैरवनाथ कहलाते हैं काशी के कोतवाल।
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