हैदराबाद गैंगरेप और हत्याकाण्ड : सुप्रीमकोर्ट ने मीडिया को दिए आवश्यक निर्देश , जिनका पालन करना बताया परम कर्तव्य स्थानीय स्तर के हर मीडियाकर्मी को ।
हैदराबाद गैंगरेप और हत्याकाण्ड के मद्देनजर सुप्रीमकोर्ट ने मीडिया को दिए आवश्यक निर्देश , पालन करे हर स्थानीय मीडिया कर्मी।
- सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया के साथ प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को किया नोटिस जारी।
- हत्या और बलात्कार जैसे मामलों मे रिपोर्टिंग के मामले में मीडिया रखे खास ध्यान।
- मीडियाँ जाँच से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को न करे सार्वजनिक।
- अपराधियों के नाम पते व आइडेंटिटी को यथासंभव एडिट करके ही सूचना प्रसारित की जाए।
नमामि गंगे न्यूज। ब्यूरो- चीफ राकेश वार्ष्णेय।
हैदराबाद कांड में मीडिया की भूमिका पर उठे सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया के साथ ही ‘प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया’ (पीसीआई) को नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत चाहती है कि बलात्कार और हत्या जैसे संगीन मामलों की रिपोर्टिंग के संबंध में मीडिया को खास ध्यान रखे। हालांकि अदालत ने साफ किया है कि उसका इरादा मीडिया को रिपोर्टिंग से रोकने का बिलकुल नहीं है,बल्कि वह जांच के पहलुओं को सार्वजनिक होने से रोकने पर विचार कर रही है। मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने हैदराबाद कांड से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी मीडिया में चलने पर नाराजगी जताई। उन्होंने राज्य सरकार से पूछा कि आखिर मीडिया में सुबह से लेकर शाम तक केस से जुड़े सबूत क्यों दिखाए जाते रहे?
इस पर तेलंगाना पुलिस की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि मीडिया में खबर आने के बाद ही इस बारे में सबको पता चला।
चीफ जस्टिस ने अदालत का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि हम मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक नहीं लगा रहे हैं, हम केवल यही चाहते हैं कि जांच से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को सार्वजनिक न किया जाए।
अदालत ने वेटनरी डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या के सभी आरोपितों के एनकाउंटर की सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज से जांच कराये जाने के आदेश भी दिए हैं।
गौरतलब है कि मीडिया ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। इस फेर में कई मीडिया संस्थानों ने पीड़िता और उसके परिवार की न सिर्फ पहचान उजागर की थी, बल्कि पीड़िता की तस्वीर इंटरनेट पर वायरल हो गई थी। इसके अलावा, आरोपितों की तस्वीरें भी सार्वजनिक कर दी गई थीं।
अब सुप्रीमकोर्ट के इन निर्देशों के तहत हर छोटे बड़े, प्रिंट अथवा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को उक्त सन्दर्भ में बेहद सतर्कता बरतने की जरुरत है ।
नमामि गंगे न्यूज सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को तर्कसंगत बताते हुये सुप्रीम कोर्ट से यह निवेदन भी करता है कि माननीय न्यायालय इस मामले में एक एडवाइजरी प्रदान करें कि भारत के समस्त विभाग जैसे भारत की सैन्य व्यवस्था , पुलिस व्यवस्था एवम् अनेकों विभागों के अधिकारयों का भी परम कर्तव्य हो जाता है कि ऐसी गोपनीयता की जानकारियों को या तो मीडिया के समक्ष उजागर ही न करें या फिर मिडिया को गोपनीयता के उन प्रमुख बिंदुओं को विशेष सावधानी पूर्ण तरीके से अपराधियों के नाम बदल कर तथा उनके चेहरों के फोटो को एडिट करके ( अगर एनिमेशन द्वारा अपराधी का नया चेहरा बनाना सुलभ हो सके) ,तथा उनके नाम , एवम् अन्य 'आइडेंटिटी ' को बदल कर ही अपने साफ-साफ निर्देशों सहित मीडिया के समक्ष रखें, ताकि पूरे मीडिया जगत में एक जैसा सन्देश प्रसारित हो सके ।
अभी तक उक्त सतर्कता में भारत के प्रमुख विभागों के अधिकारियों द्वारा गोपनीयता न बरतने की भयंकर चूक का ही नतीजा यह प्रकरण रहा है जिसमें कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केवल मिडिया को ही एकतरफा निर्देशित किया गया है।
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