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माँ का कर्ज ( एक प्रेरणा प्रद कहानी)

माँ का कर्ज ( एक प्रेरणा प्रद कहानी)  namamigangenews
माँ खुद गीले में सोती है और बच्चे को सूखे में सुलाती है। 
एक बार एक माँ और एक बेटा था। दोनों में माँ के कर्ज को लेकर बहस हो गयी।। बेटा माँ से बोला -- माँ, तुम हमेशा यह कहती रहती हो, कि माँ का कर्जा कभी उतर नहीं सकता। अब मैं तंग आ गया ये सब सुनकर हूँ। आज मैं तुम्हारे अगले पिछले सारे क़र्ज़े चुका दूँगा। बताओ कितना कर्ज़ा है तुम्हारा ? तुम्हैं आखिर क्या चाहिए? रूपया, सोना, चांदी,या  जेवर? बताओ माँ मैं ऐसा क्या दूँ, जिससे तुम्हारा सारा कर्ज़ा उतर जाए।
माँ बेटे से बड़े आराम बोली – मेरे प्यारे बेटे, इन रुपयों पैसों सोने और चांदी से तो मेरा कर्जा नहीं उतर सकेगा। हाँ अगर तुझे मेरा क़र्ज़ उतारना है, तो एक काम कर, आज की रात तू मेरे पास, मेरे कमरे में ही सो जा। अगर तू एक रात के लिए मेरे पास सो जाएगा, तो मैं समझूंगी, कि तूने मेरा क़र्ज़ उतार दिया।
बेटे सोचने लगा, कि सिर्फ एक रात की ही तो बात है, सो जाता हूँ माँ के पास।

अतः वह उस दिन बेटा माँ के कमरे में ही सो गया।
किन्तु जैसे ही बेटे को नींद आनी शुरू हुई, माँ ने बेटे को जगाया और बोली -- बेटा, प्यास लगी है, एक ग्लास पानी पिला दे।
बेटे उठा और माँ के लिए पानी ले आया।
माँ ने थोड़ा सा पानी पी लिया और बाकी पानी बेड पर बिखेर दिया, जहाँ बेटा सोया था।
बेटे ने कहा -- अरे, माँ आपने यह क्या किया ? आपने तो मेरे सोने की सारी जगह गीली कर दी। अब मैं कैसे सोऊंगा।
माँ बोली -- बेटा गलती हो गयी। कोई बात नहीं सो जा।यह जगह अभी सूख जाएगा। बस एक रात ही तो सोना है तुझे।
बेटा जैसे तैसे उस गीले बेड पर सो गया। अभी आँख थोड़ा लग भी न पायी थी, कि माँ ने फिर बेटे को जगा दिया और कहा बेटा, थोड़ा सा पानी पिला दे।
अब बेटे को थोड़ा सा गुस्सा आ गया और उसने माँ को कहा माँ, अभी तो आपने पानी पिया था और बाकी बिखेर भी दिया था, इतनी जल्दी प्यास लग गयी?
माँ बोली -- बेटा गर्मी बहुत ज़्यादा होने के कारण प्यास ज्यादा लग रही है। एक गिलास और पानी पिला दे।
बेटे ने थोड़ा मुँह बनाया और फिर दोबारा पानी का गिलास लेकर आ गया। माँ ने थोड़ा पानी पिया और बाकी पानी फिर से बेटे की जगह पर बिखेर दिया।
अब बेटे का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुँच गया। बेटे ने माँ को बहुत बुरा भला कहा। बेटे बोला -- माँ तुम पागल हो गयी हो क्या? तुमने मेरी जगह पर पहले भी पानी बिखेर दिया। और दोबारा फिर से गीला कर दिया। बार बार मेरा बिस्तर क्यों गीला कर रही हो ? बेटे की दर्जनों बाते सुनने के बाद भी माँ कुछ ना बोली।
बस धीमी आवाज़ में बोली -- बूढी हो गयी हूँ ना बेटा, अतः गलती से गिर गया। कोई बात नहीं एक रात की ही तो बात है। तू सो जा, अभी थोड़ी देर में सूख जाएगा।
जैसे तैसे बेटा फिर गीले बिस्तर पर लेट गया।लैकिन बिस्तर के गीला होने के कारण से काफी देर तक नींद नहीं आयी। लेकिन एक घंटे बाद फिर से बेटे की आँखें नींद से फिर से भारी होने लगी और तभी माँ ने बेटे को फिर से उठा दिया और कहा -- बेटा पानी...!
माँ ने अभी इतना कहा ही था, कि बेटा झल्ला उठा और बोला -- भाड़ में जाए तुम्हारा कर्जा, मैं जा रहा हूँ अपने कमरे में सोने।
इतना सुनते ही माँ ने बेटे से कहा बेटे तुम तो मेरा कर्ज़ा उतारने चले थे। तुम एक ही दिन मेरे साथ सोये और मैंने सिर्फ दो बार तुम्हारा बिस्तर गीला कर दिया, तो तुम भाग रहे हो यहाँ से।
मैंने तो तुम्हारा बिस्तर साफ़ पानी से ही गीला किया, लेकिन जब तुम छोटे थे, तो तुम तो रोजाना ही मेरा बिस्तर अपने पेशाब और मल से गीला कर देते थे और मैं खुद गीले पर लेटती थी और तुम्हैं सूखे बिस्तर पर लिटाती थी। मैं सारी रात तुम्हारी गन्दगी में सोती थी, लेकिन फिर भी मेरा प्यार, कभी भी तुम्हारे लिए कम नहीं हुआ।
मैंने तो तुमसे सिर्फ दो बार पानी माँगा और तुम्हैं इतना गुस्सा आया । पर जब तुम छोटे थे, तो तुम कभी रात में पानी, तो कभी दूध मांगते थे और मैं हर बार मुस्कुरा कर, अपने हाथो से तुम्हैं पिलाती थी।
जब तुम रात को बीमार होते थे, तो पूरी रात तुम्हैं अपने सीने से लगा कर, आँगन में घूमती थी, ताकि तुम सो जाओ।
और आज तुम निकले हो, माँ का क़र्ज़ चुकाने। बेटे एक जन्म तो क्या, 7 जन्मो में भी माँ का क़र्ज़ नहीं उतारा जा सकता। अब तुमने अपनी आँखों से देख लिया है कि यह कर्ज ऐसा है जिसे किसी भी प्रकार नही उतारा जा सकता है मेरे बेटे हाँ इसका अहसास तुम्हैं वाकई में तब होगा जब तुम खुद माँ  या पिता बनोगे।

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