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आयुर्वेद में ही मौजूद है किडनी के रोगों का इलाज।कोलकाता में लगे अंतर्राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान मेले में पहली बार आयुर्वेदिक दवाओं पर विचार हुआ।

आयुर्वेद में ही मौजूद है किडनी के रोगों का इलाज।कोलकाता  में लगे अंतर्राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान मेले में पहली बार आयुर्वेदिक दवाओं पर विचार हुआ।

आयुर्वेद में ही मौजूद है किडनी के रोगों का इलाज।कोलकाता  में लगे अंतर्राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान मेले में पहली बार आयुर्वेदिक दवाओं पर विचार हुआ।
आयुर्वेद में ही मौजूद है किडनी के रोगों का इलाज

नमामि गंगे न्यूज। ब्यूरो। ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय।

कोलकाता में चल रहे भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान मेले में पहली बार आयुर्वेद दवाओं पर एक विशेष सत्र का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में किडनी अर्थात गुर्दे के उपचार में आयुर्वेदिक दवाओं के प्रभाव पर चर्चा की गई।

kidney disease treatment in ayurveda 
आयुर्वेद में उन बीमारियों का भी इलाज सम्भव है जिनका इलाज ऐलोपैथी में नही है।

आयुर्वेद में किडनी (गुर्दे) की बीमारी का असरदार इलाज पूर्णतया संभव है। आयुर्वेद में किडनी रोगों का पूर्ण समाधान सम्भव है। ये दवाऐं किडनी या गुर्दे को नुकसान पहुँचाने वाले घातक तत्वों को बेअसर कर देती हैं इस बार कोलकाता में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान मेले में पहली बार आयुर्वेदिक दवाओं पर विशेष सत्र का आयोजन हुआ है। जिसमें गुर्दे के उपचार के लिए आयुर्वेदिक समाधान पर चर्चा हुई हैं। 

आयुर्वेद में ही मौजूद है किडनी के रोगों का इलाज।

इस सत्र के दौरान एमिल फार्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने आयुर्वेद के उपचार में प्रभावी दवा नीरी के एफ टी के बारे में अब तक हुए शोधों का ब्यौरा पेश करते हुए बताया है कि नीरी के एफ टी गुर्दे में टीएनएफ अल्फा के स्तर को नियंत्रित करती है।
 टी.एन.एफ. एल्फा परीक्षण से ही गुर्दे में हो रही गड़बड़ियों का पता चलता है तथा यह सूजन आदि की स्थिति को भी दर्शाता है। टीएनएफ अल्फा सेल सिग्नलिंग प्रोटीन है।
संचित शर्मा ने अपने प्रजेंटेशन में बताया है कि नीरी के एफटी के बारे में अमेरिकन जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च में  एक शोध प्रकाशित हो चुका है। इस शोध में पाया गया कि जिन समूह के लोगों को नियमित रूप से नीरी केएफटी दवा दी जा रही थी उनके गुर्दे सही तरीके से कार्य कर रहे थे। उनमें भारी तत्वों, मैटाबोलिक बाई प्रोडक्ट जैसे क्रिएटिनिन, यूरिया, प्रोटीन आदि की मात्रा नियंत्रित पाई गई।

आयुर्वेद में ही मौजूद है किडनी के रोगों का इलाज।

 जिस समूह को दवा नहीं दी गई, उनमें इन तत्वों का प्रतिशत बेहद ऊंचा था। यह पांच आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों पुनर्नवा, गोखरू, वरुण, पत्थरचूर तथा पाषाणभेद से तैयार की गई है।
उन्होंने बताया कि जिन लोगों के गुर्दे खराब तो हो चुके हैं लेकिन अभी डायलिसिस पर नहीं हैं, उन्हें इसके सेवन से पर्याप्त लाभ मिलता है और उन्हें डायलिसिस पर जाने की नौबत नहीं आती है।
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान मेंले में जानकारी देते हुऐ बताया कि आयुर्वेद में कई उपयोगी दवाएं हैं। जो एलोपेथी से बढ़िया काम करती हैं। आयुर्वेद में उन बीमारियों का भी उपचार है जिनका एलोपैथी में कोई उपचार नहीं है। लेकिन आज वास्तविक जरुरत इन जड़ी बूटियों को आधुनिक चिकित्सा की कसौटी पर परखे जाने व प्रमाणित किये जाने की  है। इस दिशा में डीआरडीओ और सीएसआईआर ने कार्य किया है इस पर और ध्यान दिये जाने की जरूरत है।आयुर्वेद में ही मौजूद है किडनी के रोगों का इलाज।

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