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ज्वाला देवी- हिमाचल प्रदेश में माँ भगवती दुर्गा का वह मंदिर जहाँ मानी थी कभी सम्राट अकबर ने हाऱ।

ज्वाला देवी- हिमाचल प्रदेश में माँ भगवती दुर्गा का वह मंदिर जहाँ मानी थी कभी सम्राट अकबर ने हाऱ।

ज्वाला देवी- हिमाचल प्रदेश में माँ भगवती दुर्गा का वह मंदिर जहाँ मानी थी कभी सम्राट अकबर ने हाऱ।
ज्वाला माई का मंदिर। नमामि गंगे न्यूज।
नमामि गंगे न्यूज। ब्यूरो रिपोर्ट।ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय।धर्म संसार।माता ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश। 
 ज्वालादेवी का मंदिर भारत देश के राज्य हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी में स्थित माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है। कहा जाता है कि यहां माता सती की जीभ गिरी थी। और इसी कारण माता का यह शक्तिपीठ ज्वालादेवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। 
वैसे इस मंदिर के बारे में एक और कथा प्रसिद्ध है जो इंद्र की पत्नी शचि से जुड़ी है।

ज्वाला देवी- हिमाचल प्रदेश में माँ भगवती दुर्गा का वह मंदिर जहाँ मानी थी कभी सम्राट अकबर ने हाऱ।

इस मंदिर की खासियत यह है कि यहाँ माता के मूर्तिरूप की नहीं अपितु  ज्वाला के रूप में माँ की
ज्वाला देवी- हिमाचल प्रदेश में माँ भगवती दुर्गा का वह मंदिर जहाँ मानी थी कभी सम्राट अकबर ने हाऱ।
पूजा होती है। यह ज्वाला  हजारों वर्षों से प्रज्वलित है। इस स्थान को व्यवस्थित करने का श्रेय जाता है गुरुगोरख नाथ को । यहां प्रज्वलित ज्वाला प्राकृतिक न होकर चमत्कारिक मानी जाती है। मंदिर के थोड़ा ऊपर की ओर जाने पर गोरखनाथ जी का भी मंदिर है जिसे गोरख डिब्बी के नाम से जाना जाता है। मंदिर का इतिहास यह है कि इस मंदिर का प्रथम निर्माण सतयुग में महाकाली के परमभक्त राजा भूमिचंद ने स्वप्न से प्रेरित होकर करवाया था।और इसके बाद कालान्तर में यह स्थान भूल में पड़ गया त्रेता युग में इस स्थान की खोज पांडवों ने की थी। इसके बाद यहां पर गुरुगोरखनाथ ने घोर तपस्या की थी तथा माता ज्वाला देवी से वरदान और आशीर्वाद प्राप्त किया था। 

ज्वाला देवी- हिमाचल प्रदेश में माँ भगवती दुर्गा का वह मंदिर जहाँ मानी थी कभी सम्राट अकबर ने हाऱ।

पुनः सन् 1835 में इस मंदिर का पुन: निर्माण या जीर्णोद्धार राजा रणजीत सिंह और राजा संसारचंद ने करवाया था।
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