धनतेरस पूजा विधि व महत्व। महासंयोग धनतेरस का मां महालक्ष्मी के वार शुक्रवार का होना
धनतेरस पूजा विधि व महत्व। महासंयोग धनतेरस का मां महालक्ष्मी के वार शुक्रवार का होना
स्वास्थ्य के देवता व धन की देवी का प्राकट्योत्सव है धनतेरस का पर्व।
दीपोत्सव का पंच दिवसीय महापर्व आज धनतेरस के साथ हो रहा है। और खास बात यह है कि आज है शुक्रवार। मां महालक्ष्मी का पावन दिवस तो चूंकि आज से शुरूआत हो रही है अतः यह एक अति विशिष्ट अद्भुत संयोग है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार धनतेरस पर नई वस्तु खरीदने का विशेष महत्व है।
ज्योतिष के आचार्यों के अनुसार धनतेरस भगवान धनवंतरि, कुबेर व यमराज की पूजा का एक खास दिन है। इस दिन आटे का दीपक जलाकर देवताओं की आराधना करने से उनकी कृपा बरसती है। इसके बाद क्रमशः नरक चौदस, छोटी दीपावली, महालक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजन और भाईदूज के साथ महापर्व का समापन होता है।
स्वास्थ्य के देवता व धन की देवी का प्राकट्योत्सव है धनतेरस का पर्व।
धनतेरस पूजा विधि---
धन त्रयोदशी पर एक बर्तन में अन्न रखकर उस पर आटे का दीपक तेल या घी डालकरबनाकर से जलाएं। यह दीपक घर की दक्षिण दिशा में रखें। क्योंकि दक्षिण दिशा के स्वामी यमराज हैं और यह दिशा पितरों की भी दिशा मानी गई है।
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