ऑनलाइन के चलन से बिगड़े स्थानीय व्यापारियों के हालात
*ऑनलाइन के चलन से बिगड़े स्थानीय व्यापारियों के हालात*
"नमामि गंगे न्यूज पोर्टल"
की
अनोखी पहल :
ऑनलाइन गोरखधंधे को समझने के लिए कृपया इसे पूरा अन्त तक पढ़ें ।
**भारत में विदेशों की तर्ज पर कई विदेशी कंपनियों द्वारा भारी डिस्काउंट देकर ऑनलाइन व्यापार शुरू कर दिया गया है* जो स्थानीय दुकानदार किसी कीमत पर अपना माल बिक्री नहीं कर सकता है ।
**भारत में व्यापार के नियम एवम् सिद्धान्त निर्धारित हैं , जिन पर सम्पूर्ण भारत के मल्टीनेशनल एवम् भारतीय निर्माताओं द्वारा एवम् ऐसेम्बल्ड उत्पादनों को वितरण किया जाता है ।*
*ऑनलाइन बिक्री करने की नवीन परम्परा (System) द्वारा जिसमें भारी डिस्काउंट(80 % तक) और बेहद कम कीमतों पर ग्राहकों के घर पर माल भेज कर भारतीय नियम और सिद्धांतों को तार तार करके भारत के बाजारों को बेकार और बेजान बनाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है ।
*भारत के करोड़ों व्यापारी इससे बुरी तरह प्रभावित हैं तथा अपनी बर्बादी की तरफ बढ़ रहे हैं ,इन चन्द विदेशी कंपनियों और इनसे जुड़े सप्लायर भारत के बाजारों को तबाह कर रहे हैं , जिनका कोई कारगर विकल्प नहीं दिखाई दे रहा है ।*
*व्यापार के नियमानुसार भारत की सभी कम्पनियाँ एक क्षेत्र विशेष के लिए अपना अधिकृत वितरक नियुक्त करती हैं ।
वितरक अपने क्षेत्र के अंतर्गत खुदरा दुकानदारों के माध्यम से उपभोक्ताओं को उत्पादन वितरण करते हैं ।
न कि सीधे उपभोक्ता के घर जाकर या माल कोरियर द्वारा भेजा जाता है ।
**हाँ , ये ऑनलाइन कम्पनियाँ हरेक नगर व कस्बो में अपने अधिकृत वितरकों को नियुक्त करके ' होम डिलीवरी ' द्वारा उपभोक्ताओं को दैनिक उपभोग की वस्तुओं को भेजा जा सकते हैं ।*
किन्तु इनमें रेडीमेड कपड़े , जूते , सोने चांदी के जेवरात , इलेक्ट्रॉनिक्स एवम् इलेक्ट्रिकल्स आदि के सामान को व्यावहारिक एवम् सैद्धान्तिक रूप से ग्राहक को अपने शोरूम पर बिना सामान को दिखाए होम डिलीवरी नहीं की जाती है ।
*सबसे बड़ी दिक्कत है बाजारों में ग्राहक *दुकानदारों को मोबाईल में इंटरनेट पर प्रदर्शित रेट दिखा कर अपनी जरूरत का सामान खरीदने की पेशकश करता है , जिस रेट पर दुकानदार को माल बिक्री करना असम्भव होता है,* क्योंकि सामान की कीमतें उसकी अपनी खरीद की कीमतों से काफी कम होती हैं !
*_यह भी ज्ञात हुआ है कि *ऑनलाइन सप्लाई की आड़ में अनेकों सामान सेकण्ड्स के , नकली , घटिया तथा धोखेबाजी से ईंट पत्थर आदि तक भेज दिए जाते हैं !_*
बेबस ग्राहक को इससे भारी मानसिक आघात एवम् अवसाद से गुजरना पड़ता है!
*भारत में व्यापार की परम्परागत प्रक्रिया को समाप्त करने की साजिश है । विदेशों की तर्ज पर तथाकथित विदेशी कंपनियों द्वारा ऑनलाइन व्यापार पर तुरन्त प्रतिबन्ध लगाया जाये,* *अन्यथा भारत के व्यापारियों के सामने अपनी रोजी रोटी के लिए आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा।*
राकेश वार्ष्णेय (वरिष्ठ पत्रकार)**_चीफ एडमिन_नमामि गंगे न्यूज़ *_
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