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टूरिस्ट वीजा पर वीजा कानूनों का उल्लंघन करते हुए मस्जिदों में रह रहे विदेशी नागरिकों को बापस भेजने का विरोध क्यों ?

टूरिस्ट वीजा पर वीजा कानूनों का उल्लंघन करते हुए मस्जिदों में रह रहे विदेशी नागरिकों को बापस भेजने का विरोध क्यों ?

 मेरठ। नमामि गंगे न्यूज़।
मस्जिदों में रहकर भारतीय वीजा कानूनों का उल्लंघन करके जमात के नाम पर रह रहे 18 विदेशी मुस्लिम नागरिकों को पुलिस द्वारा वतन भेजने पर स्थानीय लोगों द्वारा विरोध करने का मामला संज्ञान में आया है। मामला वास्तव में यह है कि यह लोग मलेशिया, म्यांमार एवं इंडोनेशिया के निवासी थे जो टूरिस्ट वीजा पर भारत के मेरठ जिले में जमात के नाम पर मस्जिदों में टिके हुए थे।
मंडावर से थाईलैंड व मलेशिया के 14 विदेशी लोग तथा कोतवाली शहर के गांव मुस्तफाबाद से 15 से 20 लोगों को उनके देश भेजा गया था।

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एलआईयू व पुलिस की नजर किरतपुर के मोहल्ला काजीयान स्थित मरकज मस्जिद में टिके 11 विदेशी व नजीबाबाद के मोहल्ला पठानपुरा की मरकज जामा मस्जिद में टिके सात विदेशी नागरिकों पर पड़ी। इनमें मलेशिया के छह, इंडोनेशिया के पांच तथा म्यांमार के सात लोग शामिल थे। ये सभी लोग टूरिस्ट वीजा पर मस्जिदों में जमात के रूप में ठहरे हुए थे।

 वैसे यह लोग पहले भी ऐसा कर चुके है और यह अपराधिक मामला होने के बावजूद भी कभी पिछली सरकारों ने इस बात पर संज्ञान ही नहीं लिया था और इसी कारण से भारत में कई बार खतरनाक अपराधिक घटनाएं भी हो चुकी है। लेकिन पहले इस प्रकार घटनाओं पर कोई कार्रवाई नहीं होती थी तो इन लोगों के मंसूबे चढ़े हुए थे। लेकिन इस बार सरकार की नजर होने के कारण पुलिस प्रशासन मुस्तैद है और आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने वाले विदेशी नागरिकों पर शिकंजा कसा जा रहा है। अतः जब पुलिस ने इन लोगों से अपने वतन वापस जाने के लिए कहा तो स्थानीय लोग विरोध में आ गए। लेकिन पुलिस ने साहस दिखाते हुए इन लोगों पर कार्रवाई करने की बात कही तब यह लोग अपने वतन को वापस जाने को तैयार हुए। और स्थानीय लोग कुछ ढीले पड़े।

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 वीजा कानून में साफ लिखा हुआ है कि अगर कोई व्यक्ति टूरिस्ट वीजा पर धार्मिक प्रचार-प्रसार करता हुआ पाया गया तो यह वीजा कानूनों का उल्लंघन माना जाएगा उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
तब प्रश्न यह उठता है कि कुछ लोग धार्मिक भावनाओं में इतना क्यों बह जाते हैं कि उन्हें देश और राष्ट्र के बारे में सोचने की जरूरत ही नहीं महसूस होती है सभी को पता है कि यह जिन देशों के नागरिक हैं वहां स्वयं ही हालत अच्छी नहीं है। वहां के हालातों से हमें सचेत होना चाहिए। हमें किसी पर भी आंखें मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए। ये लोग आतंकवादी गतिविधियों में भी संलिप्त हो सकते हैं और धार्मिक भावनाओं का फायदा उठाकर भारत के नागरिकों को भी आतंकवादी बना सकते हैं और वे प्रभावित होने वाले लोग स्थानीय नागरिक ही होंगे। ये इनके सहयोगियों मे से या इनके परिवार से भी हो सकते हैं। और सही बात तो यह है कि वे ही होगे। ऐसा जहां जहां आतंकवाद है वहां देखने में आया है कि सहयोग करने वाले लोग ही सर्वाधिक प्रताड़ित हुए हैं।
 तब ऐसी स्थिति में स्थानीय नागरिक किस बूते पर इन लोगों का साथ दे रहे थे। 
वैसे देश के प्रति नागरिक कर्तव्यों का पालन करने वाले व्यक्ति कभी ऐसा काम नहीं करेंगे। और जो नागरिक कर्तव्य नहीं समझते या नागरिक कर्तव्यों का पालन नहीं करना चाहते उन्हें देश में रहने का कोई हक ही नहीं होना चाहिए ऐसे लोगों पर भी शिकंजा कसा जाना चाहिए जो लोग इन बाहरी नागरिकों का सहयोग कर रहे थे।

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