करवा चौथ व्रत का महत्व ।
करवा चौथ का व्रत एवं इसका महत्व ।
करवा चौथ स्पेशल
पत्नी के लिए हिन्दू धर्म में पति का स्थान भगवान की जगह होता है। और पत्नी उसे स्वामी कहती है।
पत्नी के लिए हिन्दू धर्म में पति का स्थान भगवान की जगह होता है। और पत्नी उसे स्वामी कहती है। और इसी प्रकार पत्नी का स्थान पति के लिए स्वामिनी का होता है और योग्य पुरुष इस को समझते हैं तथा पत्नी को योग्य स्थान प्रदान करते हैं। और जीवन भर उन्है आदर व इज्जत देते हैं। इसी प्रकार पतिकी लम्बी उम्र के लिए हर पत्नी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखती हैं।
करवा चौथ का त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है और इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत रखती है और चंद्र देव की पूजा के बाद ही अन्न जल ग्रहण करती है। कई स्थानों पर वाइस सिटी विवाहित स्त्रियों के अलावा विवाह योग्य युवती या भी इस व्रत को रखती हैं जिससे कि उन्हें एक योग्य होनहार पति की प्राप्ति हो। बहुत से स्थानों पर 12 से 16 साल तक इस व्रत को लगातार करने की परंपरा है लेकिन ज्यादातर स्थानों पर स्त्रियां पूरे जीवन इस व्रत को रखती हैं। मान्यताओं के अनुसार पति की लंबी उम्र के लिए ऐसे महान कोई व्रत नहीं है।कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को हर साल करवा चौथ मनाया जाने वाला यह व्रत इस साल 17 अक्टूबर को पड़ रहा है। करवा चौथ व्रत में पूरे शिव परिवार की पूजा होती है। इसके अलावा चतुर्थी स्वरूप करवा की भी पूजा होती है। इस दिन खासतौर पर श्री गणेश जी का पूजन होता है और उन्हें ही साक्षी मानकर व्रत शुरू किया जाता है।महिलाएं भगवान शिव, माता पर्वती, गणेश और कार्तिकेय भगवान की विधिवत पूजा करती हैं तथा पूजन के बाद चंद्रमा को देखने और अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती हैं।
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