शिवसेना की कूटनीटिक हार , देवेन्द्र फड़नवीर बने मुख्यमंत्री तो उपमुख्य मंत्री बने अजीत पंवार।
शिवसेना की कूटनीटिक हार , देवेन्द्र फड़नवीर बने मुख्यमंत्री तो उपमुख्य मंत्री बने अजीत पंवार।
एक महिने के राजनैतिक ड्रामा हुआ समाप्त, देवेन्द्र फड़नवीस की महाराष्ट्र में हुयी सत्ता व्याप्त।
आधुनिक समय के चाणक्य है भारत के गृहमंत्री अमित शाह।
देवेन्द्र फड़नवीस को बधाई देते अमित शाह व प्रधानमंत्री मोदी |
महाराष्ट्र (Maharashtra) तमाम अटकलों और कयासों का बंद हुआ बाजार, मुख्यमंत्री बनाऐ गये फड़नवीस और उपमुख्यमंत्री अजीत पवांर। कल तक थी हर जुबान पर शिवसेना की सरकार और अटकलों के बीच बनी राज्य में भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार। भारतीय जनता पार्टी ने जनता के लिए सरकार का किया गठन इस दौरान बीजेपी का साथ एनसीपी के नेता अजित पवार ने दिया है. देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने शनिवार सुबह महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री के तौर पर एक बार फिर से शपथ ले ली है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) ने उन्हें शपथ दिलवाई. साथ ही अजित पवार (Ajit Pawar) ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। हालांकि
अभी यह बात साफ नहीं हाे सकी है कि एनसीपी का समर्थन बीजेपी को है या नहीं. वहीं सूत्र बता रहे हैं कि एनसीपी के सिर्फ 25 से 30 विधायकों को लेकर अजित पवार सरकार बनाने आए हैं।
वो किस्सा लगभग आप सभी ने सुना होगा।
आधी छोड़ पूरी को धाऐ, आधी मिली न पूरी पाये।
देवेन्द्र फड़नवीस , राज्यपाल कोश्यारी व उपमुख्यमंत्री अजीत पवांर |
बिल्कुल सटीक बैठता है। भारत के महाराष्ट्र प्रांत की पार्टी शिवसेना पर, इलेक्सन में भारतीय जनता पार्टी के साथ परचम लहराने के बाद शिवसेना ने जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी को आँखे दिखाना शुरु किया वह अपने आप में कोई अच्छा कदम नही था। वैसे भी शिवसेना ने चाहैं जो किया हो उसने कभी भी भारत को एक देश मानकर कोई काम अभी जल्दी में तो नही ही किया है। बाला साहेव ठाकरे के बाद दुर्भाग्य वस कोई भी नेता पार्टी को आगे बढ़ा पाने में कामयाव नही हुआ।
महाराष्ट्र में शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी एनसीपी के समर्थन से मुख्यमंत्री के तौर पर एक बार फिर भाजपा के देवेंद्र फड़णवीस की वापसी के साथ ही महीने भर से चल रहे राजनीतिक गतिरोध का नाटकीय रूप से अंत हो गया
सारे देश में व्यापक फैलाव की बहुत सारी संभाबनाओं को ध्वस्त करते हुऐ इस पार्टी के सारे नेता शायद अपने आप को महाराष्ट तक सीमित करने में लगे हुये हैं. और धीमे धीमें अपने भारतीय गौरव को खोते जाते दिखाई दे रहे हैं। इनका हिन्दू गौरव भी मराठी मानुष की अत्यंत काली काल कोठरी के अंधकार में विलुप्त होता जा रहा है। सत्ता लोलुपता शायद पार्टी में चरम पर है। बाल ठाकरे की मराठी मानुष वाली बात और इनकी बात में जमीन आसमान का फर्क है। उन्हौने सम्पूर्ण जीवन पद पर न रहकर लोगों के दिलों पर राज्य किया। यह बात सभी अच्छी तरह जानते हैं।
लैकिन शिव सेना का वर्तमान संस्थान यह बात पूरी तरह भूल चुका है और जनता की भावनाओं को ताक पर रखकर केवल अपनी सत्ता लोलुपता को पूरा करने की चाह में गलत सही नही देख पा रहे हैं।
वैसे भारतीय जनता पार्टी का शरद पवांर की पार्टी के साथ जाने का निर्णय भी कोई अच्छा निर्णय नही कहा जा सकता किन्तु जनता की भलाई के लिए अलग मानसिकता वाली पार्टी के साथ जाकर भी अगर कुछ भला अगर हो सके तो कोई बात नही। शिवसेना ने सत्ता के लिए जिस प्रकार की शर्ते रखीं थी उसका सर्वाधिक बेहतर उत्तर भारतीय जनता पार्टी ने दिया है। और एक बार फिर साबित हुआ है कि
आधुनिक समय के चाणक्य है भारत के गृहमंत्री अमित शाह।
"अमित शाह ने जिस प्रकार से जनता के दिये बोट का उपकार मानते हुये अपनी राजनैतिक प्रतिबद्धता निभाई है। उसे किसी भी मामले में गलत नही कहा जा सकता है। यह तो कहा जा सकता है कि यह जोड़ी बेमेल है किन्तु कभी कभी देश की भलाई के लिए एसे निर्णय लिए जाना कोई बुराई की बात नही है।"
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